Government is making efforts towards popularizing the use of Indian languages in the use of software and apps.
Websites on the internet are normally in English, a language which Indians are not familiar with. The government is keen that stress is laid on Indian languages so that more and more people can use the web.
This article by Swaran Lata and Bharat Gupta focuses on the benefits of using Indian language for software development and the steps being taken by the government to ensure a wider reach of the web.
सॉफ्टवेयर लोकीकरण .... एक विकल्प या एक आवश्यकता
श्रीमती स्वर्ण लता, वरिष्ठ निदेशक व प्रभाग प्रमुख, भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (टी.डी.आई.एल.),
भरत गुप्ता, वैज्ञानिक ‘सी’, भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (टी.डी.आई.एल.),
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एम.ई.आई.टी.वाई.)
शिक्षित वर्ग में, प्राय: यह चर्चा का विषय रहता है कि सॉफ्टवेयर लोकीकरण एक विकल्प है या एक आवश्यकता | इसी विषय पर कुछ निम्न उल्लेख है जो विचारणीय है |
“जैसे ऊधौ, वैसे माधौ”, इस वाक्य पर तो हम सब सहमत हैं कि हम जिस चश्मे से देखेंगे, हमको दुनिया उसी रंग की दिखेगी |
जैसा कि हम जानते हैं कि सामान्यतः उच्च कोटि की कम्प्यूटरी शिक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है एवं सॉफ्टवेयर विकसित करने की भाषा भी अंग्रेजी ही है अतः अगर कोई कम्प्यूटर शिक्षित व्यक्ति सॉफ्टवेयर लोकीकरण को एक विकल्प कहे तो ग़लत नहीं होगा किंतु अगर मैं दूसरा पहलू अर्थात् भारत की अनेक भाषाओं और उन भाषाओं का व्यवहारिक उपयोग करने वाले असंख्य भारतीयों तथा देश के तकनीकी विकास को लक्ष्य करूँ तो मेरा विकल्प रूपांतरित हो जाएगा |
हम सूचना प्रोद्योगिकि पेशेवर हर चीज़ का मूल्यांकन प्रयासो द्वारा आँकते हैं, उदाहरण के लिये किसी अंग्रेजी भाषा की पंक्ति को समझने के लिये हमारा दोहरा प्रयास या व्यय होगा अर्थात् यदि उसे समझना है तो हमें उसका अनुवाद अपनी मातृभाषा में करना होता है (दुगना प्रयत्न)|
हमारे देश में जब कोई बच्चा बोलना शुरु करता है तो वह उसकी मातृभाषा ही होती है तो अगर हम कोई सॉफ्टवेयर जो जनता द्वारा उपयोग होना है उसे अंग्रेजी भाषा में उपयोग में लायेंगे तो हम जनसंख्य को जोड़ नहीं पायेंगे |
आज हमारे देश में तकनीकी विकास उन्नति पर है, एवं इंटरनेट अपने युवावस्था में प्रवेश कर रहा है पर फिर भी सामान्य जनता इन तकनीकियों को अभी भी सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रही है और उपलब्ध विभिन्न विषयों सम्बंधित सूचनाओं से वंचित है, अर्थात् विकास की गति में कहीं अवरोध है| अगर हमें विकास की गति को बढ़ाना है तो विकासरूपी वाहन के पिछले पहिये का भी पूरा ध्यान रखना होगा |
भारत की सामान्य जनता अगर अंग्रेजी भाषा को इतनी सरलता से आत्मसात् कर पाती तो आज “टाइम्स ऑफ इंडिया” समाचार पत्र जो की सिर्फ़ अंग्रेजी भाषा में ही प्रकाशित होता है उसके कम से कम दस करोड़ से ज्यादा पाठक होते, जबकि ऐसा नहीं है |
सॉफ्टवेयर लोकीकरण एक विकल्प तब है जहाँ उसका सीधा संयोजन एक शिक्षित वर्ग (जो अंग्रेजी भाषा का अच्छा या व्यवहारिक ज्ञान रखते हैं) को लक्ष्य करता है जैसे औद्योगिक सॉफ्टवेयर ,ई-वाणिज्य पोर्टल इत्यादि तथा सॉफ्टवेयर लोकीकरण एक आवश्यकता तब है जहाँ उसका सीधा संयोजन भारत की सामान्य जनता को लक्ष्य करता है जैसे परिवहन संबंधी सॉफ्टवेयर, बैकिंग उद्योग, ई-शासन सेवायें, मोबाइल सॉफ्टवेयर इत्यादि |
आज मोबाइल का उपयोग लगातार बढ़ रहा है जो लगभग हर भारतीय के पास एवं हाथ में रहता है और अब तो स्मार्ट फ़ोन का चलन है अतः अगर हमें स्मार्ट फ़ोन को जन-जन से जोड़ना है तो इस क्षेत्र में भी लोकीकरण की आवश्यकता है ताकि सामान्य जनता भी इस तकनीक का भरपूर लाभ उठा सके |
उदाहरण के लिये :-
शिक्षा के लिये "शिक्षा सूचना अनुप्रयोग", जिसके द्वारा बच्चों के विद्यालय प्रवेश संबंधित जानकारी के साथ सरकारी योजनाओं और उनके विभिन्न विषयों के डिजिटल विषय वस्तु तथा वयस्कों के लिये हर प्रकार के पेशे संबंधी जानकारी दे |
भारतीय युवा रोज़गार के लिये, "रोज़गार सूचना अनुप्रयोग" जो नवयुवकों को रोज़गार के विभिन्न अवसरों और सरकारी योजनाओं एव विशिष्ट पेशे के लिये विभिन्न ट्रेनिंग सेन्टर की जानकारियां दे, ताकि वे इधर उधर भटकने की बजाय स्वावलंबी एवं निश्चयी बने |
किसानों के लिये, "किसान सूचना अनुप्रयोग" जो किसानों को खेती से संबंधित हर प्रकार की जानकारी दे जैसे अनाज के क्रय-विक्रय के सरकारी केंद्र की जानकारी, अनाज के बाज़ार भाव की जानकारी, उनके लिये विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी इत्यादि |
परिवहन के लिये "परिवहन सूचना अनुप्रयोग" जो यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिये उपलब्ध सुविधाओं (ट्रेन, बस, टॅक्सी), दूरी, समय व भाड़ा सहित जानकारी दे|
बैकिंग संबंधित सारी जानकारी जैसे तरह-तरह के लोन तथा उनके ब्याज दर, अन्य योजनायें तथा सुविधाओं के बारे में इत्यादि|
अगर अब भी उपरोक्त उल्लेख से आपको सॉफ्टवेयर लोकीकरण एक विकल्प प्रतीत होता है तो आप इस आख़िरी उदाहरण के लिये क्या कहेंगे :-
हमारी भारतीय चलचित्र (फ़िल्म) जो कि एक प्रकार का सॉफ्टवेयर ही है जिसको छुआ नहीं जा सकता है और जो डिजिटल संरूप में होता है तथा सॉफ्टवेयर विकास के विभिन्न चरणों द्वारा विकसित होता है, जिसे सामान्यतः हिंदी भाषा में ही अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है एवं अन्य भाषाओं के चलचित्र जैसे भोजपुरी, मराठी, तेलुगू आदि चलचित्र अंग्रेजी चलचित्रों से कहीं अधिक पसंद की जाती है|
अतः जन-जन को उपरोक्त ई-गवर्नेन्स सुविधाओं से संबद्ध करने के लिये सॉफ्टवेयर लोकीकरण एक आवश्यकता है| इसी उद्देश्य के साथ टी.डी.आई.एल. जो कि भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डी.ई.आई.टी.वाई.), संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एम.सी. & आई. टी.) द्वारा आरंभ किया गया एक कार्यक्रम है, निरंतर प्रयत्नशील रहा है और मौजूदा एवं भविष्य के भाषा तकनीक संबंधी मानकों में भारतीय भाषाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आई.एस.ओ., यूनिकोड, वर्ल्ड-वाइड-वेब कंसोर्शियम (डब्ल्यू 3 सी) और बी.आई.एस (भारतीय मानक ब्यूरो) जैसे अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मानकीकरण निकायों में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से भाषा प्रौद्योगिकी के मानकीकरण को निर्धारित करता है तथा भारतीय भाषाओं में मशीन अनुवाद प्रणाली के विकास, ऑप्टिकल कैरेक्टर की पहचान, ऑन-लाइन हस्तलिपि पहचान प्रणाली, क्रॉस-लिंगुअल सूचना प्राप्ति और संवाद संसाधन के लिए दीर्घकालिक अनुसंधान के प्रयास किये जा रहे हैं|